राजस्थान का इतिहास
राजस्थान का इतिहास (History of India)
हमारे देश के क्षेत्रफल के आधार पर राजस्थान सबसे बड़ा राज्य है | राजस्थान देश के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है राजस्थान की रीड की हड्डी कई जाने वाली प्राचीनतम अरावली पर्वतमाला है | राजस्थान शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कर्नल जेम्स टॉड ने किया | कर्नल जेम्स टॉड ने अपनी पुस्तक Annals and An-tiquities of Rajasthan ( Central and western Rajpoot Stutes of India ) राजस्थान के इतिहास पर 1829 में लंदन से प्रकाशित की |
इस राजस्थान को समय-समय पर अनेक नामों से पुकारा जाता था | इस राजस्थान के भू भाग के लिए महर्षि वाल्मिकी ने मरुकान्तार शब्द का प्रयोग किया |
राजस्थानीयादितस- बसंतगढ़ सिरोही के शिलालेख मैं राजस्थान शब्द का प्राचीनतम प्रयोग किया गया ||
राजस्थान की धरती पर छठी शताब्दी में राजपूत शासकों ने अपनी अलग- अलग रियासतें कायम कर अपना शासन स्थापित किया || इस राजपूत रियासतों में मेवाड़ के गुहिल, मारवाड़ के राठौड़, ढूंढाड के कछ्छवाहा व अजमेर के चौहान यदि राजपूत राजाओं ने शासन किया || राजपूत राजाओं कि वीरता के कारण इस राजस्थान राज्य का नाम राजपुताना कहा जाने लगा || राजस्थान राज्य के लिए राजपुताना शब्द का सबसे पहले प्रयोग सन् 1800 ई. मे. जॉर्ज थॉमस द्वारा किया गया || राजस्थान को ब्रिटिश काल मेंं राजपूताना या रजवाड़ा के नाम सेे जाना जाता था ||
26 जनवरी 1950 को भारत आजाद होनेेे के बाद राजस्थान का नाम राजस्थान स्वीकार किया गया || स्वतंत्रता के समय में राजस्थान में 19 देशी रियासतें , 3 ठिकाने लावा, कुशलगढ़,व नीमराणा था | यह चीफ कमिशनर द्वारा प्रशासित अजमेर मेरवाड़ा प्रदेश में विभक्त था | इस समय अजमेर व मेरवाड़ा के प्रथम मुख्यमंत्री श्री हरीभाऊ उपाध्यक्ष थे | राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप में 1 नवंबर 1956 को आया | राजस्थान को 33 जिलों मैं बांटा गया || राजस्थान कााा 33 वॉ जिला प्रतापगढ़ है ||
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